6 अप्रैल 2010 के पन्ने को आज 14 मई 2011 को देखना विचित्र रोमांचक लग रहा है। तब जब लिखा था कि संवाद जारी रहेगा, तब मन की इच्छा तो भरपूर थी, पर विश्वास शायद इतना नहीं था। यही वजह रही कि कोई साल भर तक यह ब्लाग जिसे बिटिया ने बड़े जतन और आग्रह से कुछ न कुछ लिखते रहने के लिए बनाया था, मानो ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। पर शायद कोई भी काम जो अच्छी स्प्रिट से किया जाए, निष्फल नहीं जाता। इसी का सबूत यह कि देखिए रफ्ता-रफ्ता संवाद चल पड़ा। दूसरों से कम, पर शायद खुद से ज्यादा। और फिलवक्त तो मुझे जरूरत इसी की ज्यादा है। प्र.म.
6 अप्रैल 2010 के पन्ने को आज 14 मई 2011 को देखना विचित्र रोमांचक लग रहा है। तब जब लिखा था कि संवाद जारी रहेगा, तब मन की इच्छा तो भरपूर थी, पर विश्वास शायद इतना नहीं था। यही वजह रही कि कोई साल भर तक यह ब्लाग जिसे बिटिया ने बड़े जतन और आग्रह से कुछ न कुछ लिखते रहने के लिए बनाया था, मानो ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। पर शायद कोई भी काम जो अच्छी स्प्रिट से किया जाए, निष्फल नहीं जाता। इसी का सबूत यह कि देखिए रफ्ता-रफ्ता संवाद चल पड़ा। दूसरों से कम, पर शायद खुद से ज्यादा। और फिलवक्त तो मुझे जरूरत इसी की ज्यादा है। प्र.म.
ReplyDeleteआज आरती बिटिया ने ब्लाग का डिजायन बदला। अब इसमें सामाजिक मुद्दों पर कभी-कभार कुछ लिखा करूँगा।
ReplyDeleteSamvaad jari rahne ki ye shuruaat mubarak ho.
ReplyDelete............
खुशहाली का विज्ञान!
ये है ब्लॉग का मनी सूत्र!